Saturday, January 3, 2009

नगर विकास मंत्री, उत्तर प्रदेश को जमानियां की खुली चिठ्ठी

सेवा में,
नगर विकास मंत्री, उत्तर प्रदेश


विषय - तिलक पुस्तकालय पर नगरपालिका का कब्जा

महोदय,
गाजीपुर जनपद की एक तहसील है ज़मानियां। इसे जिला बनाने की कोशिशें भी चल रही हैं। लेकिन आजादी के 60 साल बाद भी विकास की दौड़ में यह अप्रत्याशित रूप से पीछे है। यूं तो तहसील का पूरा इलाका ही कई तरह की जनसुविधाओँ से वंचित है। लेकिन मैं जिस आबादी की आजादी के छिन जाने की चर्चा कर रहा हूं, वह श्रीमान जी के अधिकार क्षेत्र से ही संबंधित है। वर्तमान सरकार से अपेक्षा है कि इस विषय की गंभीरता से जांच कराकर समुचित और त्वरित कार्रवाई करे ताकि स्थानीय नागरिकों के प्रति न्याय हो सके।
ज़मानियां तहसील मुख्यालय के ठीक पीछे ज़मानियां कस्बा है, जिसे अब नगरपालिका परिषद का दर्जा भी मिल गया है। उससे पहले यह एक छोटी-सी टाउन एरिया थी। तब नगर में पुस्तकालय नाम की कोई संस्था नहीं थी। लगभग दो दशक पूर्व ज़मानियां के तत्कालीन एस.डी.एम. श्री मुक्तेश मोहन मिश्र ने जनता की पुरजोर मांग पर अपने प्रयासों और राज्य सरकार के सहयोग से नगर में एक पुस्तकालय-भवन का निर्माण तहसील परिसर से लगी जमीन में कराया। उक्त तिलक पुस्तकालय का विधिवत शिलान्यास, उद्घाटन और लोकार्पण समपन्न हुआ। पुस्तकालय भवन की बाहरी दीवार पर काले-चमकीले पत्थर पर अँकित नाम-तिथि आज भी साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं। पुस्तकालय के लिए कुछ पुस्तकें और अखबार-मैगजीन भी मंगाए गए। पुस्तकालय संचालन का कार्य नगरपालिका परिषद में कार्यरत कर्मचारियों के सुपुर्द किया गया। तिलक पुस्तकालय - वाचनालय कक्ष नगर एवं आम जनता के लिए खोल दिया गया। पढ़ने वालों की संख्या बढ़ती रही। इसी दौरान एस.डी.एम. श्री मुक्तेश मोहन मिश्र का स्थानांतरण हो गया।
उस समय नगरपालिका परिषद का कार्यालय इस पुस्तकालय से लगभग तीन फर्लांग की दूरी पर पश्चिम में ज़मानियां कस्बे के कंकड़वा घाट पर स्थित था। मगर एक दिन अचानक तत्कालीन नगरपालिका चेयरमैन के अदूरदर्शी दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय से तिलक पुस्तकालय के नवनिर्मित भवन पर गाज गिर गई। तिलक पुस्तकालय हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। नगरपालिका ने आक्रमण की तर्ज पर उस भवन पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर लिया। ज़मानियां नगरपालिका परिषद का पूरा ताम-झाम तिलक पुस्तकालय नामक भवन में स्थानांतरित कर दिया गया। स्थानीय लोगों के विरोध को दरकिनार कर प्रशासन भी चुप्पी साधे रहा और वह चुप्पी आज तक बरकरार है। इस दौरान दर्जनों एस.डी.एम. आए और गए, मगर किसी ने अपने प्रशासनिक दायित्वों का निर्वाह नहीं किया। गौरतलब है कि तब तक कई बार नगरपालिका चुनाव हुए। चेयरमैन भी बदलते रहे, मगर किसी ने भी इस समस्या के समाधान में कोई रूचि नहीं दिखाई। परिणामस्वरूप तिलक पुस्तकालय आज तक अवैध कब्जे की गिरफ्त में है।
ज़मानियां का उक्त तिलक पुस्तकालय नगरपालिका ज़मानियां के साजिशपूर्ण अवैध अतिक्रमण का आज तक शिकार है। नगरीय चुनावों के पूर्व हर बार चुनावों में हिस्सा लेने वाले सभी प्रत्याशी तिलक पुस्तकालय की पुनर्स्थापना का आश्वासन देते रहे हैं किंतु परिणाम वही ढाक के तीन पात। इस प्रकार नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन करने वाली ज़मानियां नगरपालिका न केवल लोकतंत्रीय कानूनी की धज्जियां उड़ा रही हैं वरन सरकार, शासन-प्रशासन की भरपूर खिल्ली भी उड़ा रही है। नगरपालिका परिषद ज़मानियां के इस अराजकतापूर्ण रवैये पर अगर शीघ्रातिशीघ्र अंकुश न लगाया गया तो स्थानीय प्रबुद्ध वर्ग, बुद्धिजीवियों और युवकों की भावनाओं को जबरदस्त ठेस पहुंचेगी। उल्लेखनीय पहलू यह है कि वर्तमान नगरपालिका परिषद अध्यक्ष आये दिन तिलक पुस्तकालय को फिर से चालू करने और नगरपालिका के अवैध कब्जे को हटाए जाने का मौखिक आश्वासन तो दे देते हैं मगर लंबे समय से उसे क्रियान्वित न करने की उनकी मंशा हास्यास्पद लगने लगी है। साथ ही यह अति पिछड़े नगर की अपेक्षाओं पर पानी फेर रही है।
इसलिए क्षोभ के साथ इस खुली चिट्ठी के माध्यम से अनुरोध करना है कि सरकार सीधे हस्तक्षेप करते हुए शीघ्र न्यायोचित कदम उठाये ताकि आम आदमी को न्याय मिल सके। पूर्ण विश्वास है कि ज़मानियां नगर का अति संवेदनशील मुद्दा सरकार के ठंडे बस्ते में नहीं जाएगा। जनहित में आपकी त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा के साथ –

कुमार शैलेन्द्र
संयोजक
भगवान परशुराम जयंती महोत्सव परिषद, ज़मानियां

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