tag:blogger.com,1999:blog-2711880775342807027.post5185596199151167855..comments2023-06-04T21:27:44.099+05:30Comments on धूप लिफाफे में...: द्वन्द्व सिरहाने खड़ाUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2711880775342807027.post-44611425700570821592008-05-22T23:25:00.000+05:302008-05-22T23:25:00.000+05:30सत्य को अभिशप्त करकेकील ठोंकी जा रही है,इस क्षितिज...सत्य को अभिशप्त करके<BR/>कील ठोंकी जा रही है,<BR/>इस क्षितिज पर लाल रेखा-<BR/>धुंध बन मंडरा रही है ।<BR/><BR/>रिस रहा पौरुष का पानी-<BR/>द्वार पर फूटा घड़ा है ।।<BR/><BR/><BR/>--वाह! बहुत उम्दा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com