tag:blogger.com,1999:blog-2711880775342807027.post3093160424959314330..comments2023-06-04T21:27:44.099+05:30Comments on धूप लिफाफे में...: काले हुए उजाले सपनेUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2711880775342807027.post-49769982361648025062008-06-03T17:29:00.000+05:302008-06-03T17:29:00.000+05:30भाषा पर गहरी पकड..गहरी और सुन्दर रचना।***राजीव रंज...भाषा पर गहरी पकड..गहरी और सुन्दर रचना।<BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711880775342807027.post-42630731697043715972008-06-03T10:38:00.000+05:302008-06-03T10:38:00.000+05:30जितना प्यारा ब्लॉग का नाम, उससे उम्दा रचना पढ़ने क...जितना प्यारा ब्लॉग का नाम, उससे उम्दा रचना पढ़ने को मिली।मुंहफटhttps://www.blogger.com/profile/08368420570289784107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2711880775342807027.post-86278512430349002362008-06-03T10:35:00.000+05:302008-06-03T10:35:00.000+05:30शैलेन्द्र जीकविता का एक एक शब्द हीरे की तरह जड़ा हु...शैलेन्द्र जी<BR/>कविता का एक एक शब्द हीरे की तरह जड़ा हुआ लगता है. विलक्षण रचना है आप की. भाव और शब्द का ऐसा संगम बहुत कम देखने को मिलता है. बधाई.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com